वो दुल्हन के रूप में खड़ी थी.
पर वो किसी और के लिए सजीं थी
आज भी उसका रूप वही सुहाना है
जिसे मई देखता था और दीवाना था
उसे पाने कि जुस्तुजू थी उसे पाना था
पर उसे कहाँ मेरी जिंदगी में आना था
पर वो किसी और के लिए सजीं थी
आज भी उसका रूप वही सुहाना है
जिसे मई देखता था और दीवाना था
उसे पाने कि जुस्तुजू थी उसे पाना था
पर उसे कहाँ मेरी जिंदगी में आना था